किसानों को वन नेशन, वन एमएसपी दो: मजदूर किसान मंच

- किसान विरोधी अध्यादेश वापस लो : अजय राय
- किसानों को वन नेशन, वन एम एस पी दो: मजदूर किसान मंच
- 9 अगस्त को फिजिकल डिस्टेंसिंग पालन करते हुए अध्यादेश का विरोध करो
- किसान नेता ने किसानों के नाम लिखा खुला खत
चकिया(चन्दौली): मोदी सरकार के द्वारा लाये गये किसानों के लिए अध्यादेश को किसान विरोधी बतातें हुए मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने चन्दौली के किसानों के नाम खुला खत लिखा है. उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार कोरोना काल में तीन किसान विरोधी अध्यादेश लाई है।
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इनका असली नाम जमाखोरी चालू करो कानून, मंडी खत्म करो कानून और खेती कंपनियों को सौंपो कानून होना चाहिए। इन अध्यादेशों का यही असली मकसद है। बड़े व्यापारी कृषि उत्पाद खरीद कर जमा खोरी करके अपनी मनमर्जी से रेट तय करके बेचता है। इससे किसान और उपभोक्ता दोनों को नुकसान होता है। एपीएमसी की कमियों के कारण किसानों का शोषण होता है। उसे दूर किया जा सकता था, लेकिन कंपनियों को फायदा पंहुचाने के लिए खरीद का अधिकार निजी हाथों में दिया जा रहा है।
इसमें किसान अपनी उपज बेचने का अधिकार खो देगा। ठेका खेती कानून में कहने को किसान खेत का मालिक होगा, लेकिन खेती करने और उत्पाद बेचने का अधिकार कंपनी का होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा खेती किसानी की बुनियादी व्यवस्था बदलने की साजिश की जा रही है। कहा कि कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार संवर्धन कहने को तो किसान हितैषी है, लेकिन ऐसा है नहीं। एमएसपी से सरकार बचना चाहती है।
व्यापारियों के जरिए किसानों को बंधक बनाया जा रहा है। खेती से बेदखल हुए किसान क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि देश की धरती से सिर्फ किसान ही जुड़ा है व्यापारी या कंपनियां नहीं। देश के करोड़ों लोगों को भोजन की गारंटी भी किसान ही देता है। राज्य सरकारें जो बोनस देती थीं उसे केंद्र सरकार ने बंद कर दिया.
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कहा कि इस वर्ष 11 प्रतिशत अधिक गेहूं की बुआई के बावजूद कोरोना के चलते 55 लाख टन गेंहू मंडियों में कम आया। समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं खरीदा गया। उन्होंने कहा कि तीन किसान विरोधी अध्यादेश मेहनतकश किसानों पर हमला हैं और किसानों को बंधुआ बनाने की शुरुआत है।
उन्होंने बताया कि केरल सरकार ने एमएसपी से 800 रुपये अधिक पर 2695 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान की खरीद की है, लेकिन अन्य सरकारें एमएसपी पर भी धान खरीदने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि केरल सरकार ने 87 लाख नागरिकों और 25 लाख बच्चों को अनाज के अलावा दो किस्म का खाने का तेल, आटा, तेल, शक्कर, नमक, मूंग, अरहर, उरद, चना दाल, सूजी, चाय, मसाले, सांभर पॉवडर के पैकेट दिए हैं।
55 लाख लोगों को 1300 रुपये प्रति माह की पेंशन छह महीने दी जा रही है, लेकिन अन्य सरकारें कोरोना काल में भी केवल खानापूरी कर रही हैं। कहा कि सरकार ने कहा है कि किसानों को आजादी मिल गई है, लेकिन यह आजादी कारपोरेट को किसानों को लूटने की मिली है। संसद और विधान सभाओं को बिना विश्वास में लिए अध्यादेशों को लागू करने का काम किया गया है। उनका मकसद मंडी को दरकिनार करना, ध्वस्त करना है।