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सपा – बसपा भी विरोध के नाम पर केवल ट्वीट तक ही सिमित: आईपीएफ

  • मोदी योगी जी की सरकार संविधान, लोकतंत्र और संस्थाओं के लिए गंभीर खतरा : अजय राय
  • सपा – बसपा भी विरोध के नाम पर केवल ट्वीट तक ही सिमित: आईपीए

चकिया : आरएसएस के राजनीतिक संगठन भाजपा की मोदी सरकार ने देश के संविधान, लोकतंत्र और संस्थाओं के लिए गम्भीर खतरा पैदा कर दिया है। उक्त बातें आईपीएफ के प्रदेश कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा।

उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय तक के आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है उसका माखौल बनाया जा रहा है। सीबीआई, चुनाव आयोग, सतर्कता आयोग, रिर्जव बैंक, सेना जैसी संस्थाओं की प्रतिष्ठा सरकार ने अपने फैसलों से गिरा दी है।

‘न खाऊंगा-न खाने दूंगा‘ व ‘देश का चौकिदार हूं‘ के प्रवचन देने वाले मोदी जी ने आज खुद भ्रष्टाचार के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए है। देश के सार्वजनिक संस्थाओं को बेचने की होड़ मचीं हैं! महंगाई चरम पर है, किसान बदहाल है, बेरोजगार दर-दर की ठोकरें खा रहा है और पूरे देश में आम नागरिक भय के साये में जिदंगी जी रहा है।

अजय राय

उज्जवला योजना, सौभाग्य बिजली कनेक्शन, मुद्रा लोन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, किसानों की कर्ज माफी, डेढ़ गुना दाम, नोटबंदी जैसी योजनाएं गरीबों के साथ सरकार का क्रूर मजाक साबित हुई है! और इनके सारे वायदे जुमले साबित हुए। कोरोना महामारी ने सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दिया हैं।

कारपोरेट की चाकरी में लगी इस सरकार ने देश को गम्भीर आर्थिक संकट के हवाले कर दिया है। जीएसटी ने देश के छोटे-मझोले व्यपार व उद्योग धन्धों को तबाह कर दिया और एफडीआई ने खुदरा कारोबारी की कमर तोड़ दी है। बैंक साख के संकट में है ओर एलआईसी जैसा मजबूत सरकारी बीमा क्षेत्र की हालत खराब है।

स्थिति यह है कि आरएसएस से वैचारिक असहमति रखने वाले और सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बोलने वाले प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों व सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं तक को जेल में डाल दिया गया है, उनकी हत्याएं हो रही है और भीड़तंत्र द्वारा हमले कराए जा रहे है।

किसान, मजदूर, आदिवासियों समेत सभी जनांदोलनों पर बर्बर दमन ढ़ाया जा रहा है। इस देश पर बोझ बन चुकी इस सरकार के खिलाफ देश के करीब दो सौ किसान, आदिवासी व ग्रामीण मजदूरों के संगठनों ने ‘किसानों की कर्जा माफी और फसल की लागत का डेढ गुना दाम देने‘ , किसान विरोधी काले कानून वापस हो, एमएसपी को कानून बनाने की गारंटी सहित कई मांग को लेकर करीब नौ माह से दिल्ली के विभिन्न वार्डर पर बैठे हैं।

हमारें संगठन आईपीएफ, मजदूर किसान मंच और आदिवासी महासभा भी लगातार किसानों के सवालों सहित इन मुद्दे भी उठ रहीं हैं।
प्रमुख मुद्दे
1. वनाधिकार कानून को पूरे देश में लागू किया जाए और आदिवासियों व वनाश्रितों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर मान्यता दी जाए। आदिवासियों व वनाश्रितों पर वन विभाग द्वारा लादे सभी मुकदमें तत्काल वापस लिए जाए। जंगल की कृषि योग्य जमीनें फलदार वृक्षारोपण के लिए आदिवासियों व ग्रामीणों की सहकारी समिति को दिया जाए।

2. कोल समेत धागंर, धईकार, घसिया को आदिवासी का दर्जा दिया जाए और उत्तर प्रदेश की लोकसभा की एक सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित किया जाए।

3. किसानों के सभी कर्ज माफ किए जाए और उन्हें ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाए।

4. किसान को फसल का डेढ़ गुना दाम दिया जाए और उसकी सरकारी खरीद एवं भुगतान की गारंटी की जाए।

5. सहकारी खेती को बढ़ावा दिया जाए और खेती के लिए बजट का आवंटन बढ़ाया जाए।

6. रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए और हर बेरोजगार को बेकारी भत्ता दिया जाए। स्थाई कामों में लगे ठेका मजदूरों को नियमित किया जाए और सम्मानजनक वेतन को सुनिश्चित करने की गारंटी की जाए।

7. भूमि सुधार लागू हो, मनरेगा के तहत मजदूरों को काम व उनकी मजदूरी में बढ़ोतरी हो

द सर्जिकल न्यूज़ डेस्क

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