Qries
अध्यात्मज्योतिष

मां दुर्गा के चौथे अवतार देवी कूष्मांडा की अष्ठभुजाएं किस बात की है प्रतीक

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा
शुभदास्तु मे।।

नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है।

जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌ हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदि स्वरूपा या आदि शक्ति कहा गया है। इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं. इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है।

क्या है अष्टभुजाओं का अर्थ?

मां  दाहिने प्रथम हाथ में कुंभ अपनी कोख से लगाए हुए हैं, जो गर्भावस्था का प्रतीक माना जाता है. दूसरे हाथ में चक्र, तीसरे में गदा और चौथे में देवी सिद्धियों और निधियों का जाप करने वाली माला को धारण करती हैं. बांए प्रथम हाथ में कमल पुष्प, द्वितीय में शर, तृतीय में धनुष तथा चतुर्थ में कमंडल लिए हुए है. देवी अपने प्रिय वाहन सिंह पर सवार हैं. कूष्मांडा मां सिंह पर आरूढ़, शांत मुद्रा की भक्तवत्सल देवी हैं।

रहस्य मां कूष्मांडा की आराधना का !
श्री कूष्मांडा के पूजन से अनाहत चक्र जाग्रति की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. श्री कूष्मांडा की उपासना से जटिल से जटिल रोगों से मुक्ति मिलती है, सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं।

इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है.संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं इसलिए इस देवी को कुष्मांडा इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है।इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं।ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।

अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए. इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है ।ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं.सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है.विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं।अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।

अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए। देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। मां कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएं। पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए पं. वेदप्रकाश पटैरिया  शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें- 9131735636

Qries

द सर्जिकल न्यूज़ डेस्क

ख़बरों व विज्ञापन के लिए संपर्क करें- thesurgicalnews@gmail.com
Back to top button

Copyright || The Surgical News

%d bloggers like this: