पति की लंबी उम्र की मनोकामना के लिए रखा जाता है करवा चौथ व्रत

सुहागिन महिलाओं के लिए यह सबसे बड़ा पावन पर्व करवा चौथ का व्रत माना जाता है।इस दिन का इंतजार पूरे साल करती हैं महिलाएं करवा चौथ व्रत का हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व पूर्ण माना गया है।इस व्रत को पति की लंबी उम्र की मनोकामना के लिए रखा जाता है।कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर,बुधवार को रखा जाएगा। करवा चौथ के दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।संकल्प लेने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
जानकारी के अनुसार अपने घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं।इस रीति को करवा धरना कहा जाता है।शाम को मां पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों।कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं या उनका श्रृंगार करें।इसके बाद मां पार्वती भगवान गणेश और शिव की अराधना करें।चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और अर्घ्य दें।पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें।पूजन के बाद सास-ससुर और घर के बड़ों का आर्शीवाद जरूर लें।
वर्ष 2020 में करवा चौथ का व्रत पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:29 बजे से 6:48 बजे तक का रहेगा।इस दिन चंद्रोदय रात 8:16 बजे पर होगा।पांचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 4 नवंबर को 03:24 पर होगा।चतुर्थी तिथि 5 नवंबर शाम 5:14 तक रहेगी।
करवा चौथ व्रत की कथा:
एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी।सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे।कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया।विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी।सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है।लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है,इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है।दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है।फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है,तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो।बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ गई।उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई।दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया।इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ।करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं।एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की।देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा।इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा।उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया।इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।