जनता के बुनियादी सवालों का सरकार के पास न जबाब हैं और न हल :अजय राय

चकिया : प्रवासी मजदूरों से लेकर किसान और मध्यम वर्ग तक तबाह – परेशान हैंआज महामारी के दौर में जनता के बुनियादी सवाल मोदी जी – योगी जी सरकार के पास जिनका न तो हल है और न ही जवाब है।उक्त बातें आज आई पीएफ के नेता अजय राय ने कहा
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में आपदा को अवसर में बदलने के प्रधानमंत्री के आवाहन को कुछ इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है कि मानों देश में रोजगार सृजन से लेकर गरीबों-किसानों और जनता की तकलीफों को दूर करने के लिए मोदी सरकार – योगी सरकार के पास रोड मैप है और इसे हल करने के लिए सरकार गंभीर है। जबकि जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है।
श्रम कानूनों के खात्मे से लेकर कर्मचारियों के भत्ते में कटौती, कोयला, रेलवे, बिजली, रक्षा आदि में निजीकरण-विनिवेशीकरण में तेजी लाने और सब कुछ प्राकृतिक संसाधनों-सरकारी संपत्ति को कारपोरेट के हवाले किया जा रहा है। इसके खिलाफ मजदूरों की देशव्यापी हड़ताल, आंदोलन हो रहे हैं।
दरअसल मौजूदा हालात में अब यह आंदोलन आर्थिक क्षेत्र से राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है। अब जरूरत इस बात की है कि कैसे प्रभावी राजनीतिक हस्तक्षेप हो जिससे महामारी के दौर में जारी अंधाधुंध निजीकरण पर अंकुश लग सके, भयावह हो रही बेकारी जैसे सवालों के हल के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने के लिए बाध्य किया जा सके।
इसके लिए उन सभी ताकतों को जो उदार अर्थनीतियों के विरूद्ध हैं, उनकी एकजुटता और आम जनता को बड़े पैमाने पर इस राजनीतिक कार्यवाही में लामबंद कर ही ऐसा संभव है। इसके लिए पहलकदमी लिया जाना बेहद जरूरी है।
ट्रेड यूनियन संगठन जो इस हड़ताल और आंदोलनों में शरीक हैं, वह किसी न किसी रूप में राजनीतिक दलों से भी जुड़े हुए हैं, उन्हें चाहिए कि उदारीकरण की नीतियों से जो नुकसान है, के विरुद्ध जनता को शिक्षित करने, संवाद करने व लामबंद करने के लिए इन राजनीतिक दलों को तैयार करें। तभी यह आंदोलन अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है।