गहमर स्तिथ बकस बाबा धाम पर नागपंचमी के दिन श्रद्धालुओं की लगी भारी भीड़

सेवराई। तहसील क्षेत्र के गहमर स्तिथ बकस बाबा धाम पर नागपंचमी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। अलसुबह से ही भक्तों के आने का जो क्रम शुरू हुआ वो दोपहर तक चलता रहा। लोगो की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
गौरतलब हो कि सावन मास के शुक्ल पक्ष के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। नागपंचमी के दिन गहमर स्तिथ बकस बाबा धाम पर दर्शन पूजन हेतु लोगो की भारी भीड़ लगती है। जनपद के साथ साथ गैर प्रान्तों से भी लोग बहुतायत संख्या में यहाँ आते है। सर्प दंश से बचाव के लिए लोग यहा से मिले प्रसाद के तौर पर लावा और चावल का छिड़काव अपने घरों में करते है।
नमक छोड़कर लोग करते हैं पूजा:-
गहमर के बक्कस बाबा की मान्यता है कि क्षेत्र के श्रद्धालुओं के द्वारा रविवार और मंगलवार को किसी एक दिन नमक छोड़कर अपने आराध्य की पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि नमक छोड़ने वाले लोगों के घरों में सांप का वास नहीं होता और सर्पदंश की आशंका भी कम हो जाती है।
लोगो के कथनानुसार बकस बाबा कलकत्ता में रहते थे और एक दिन सर्प दंश से उनकी मृत्यु हो गई। फिर उन्होंने अपने घर वालो को स्वप्न में बताया कि मैं लोगो की भलाई करूंगा औऱ जो भी व्यक्ति सर्प दंश से पीड़ित होकर मेरे पास आएगा उसकी मैं रक्षा करूंगा। घर वाले इस स्वप्न पर विश्वास कर उनकी पूजा आराधना करना शुरू कर दिए। धीरे धीरे यह बात पूरे क्षेत्र में फैल गई और सर्प दंश से पीड़ित लोग यहा आने लगे।
सर्प दंश से पीड़ित लोग जब यहाँ से ठीक होना शुरू हो गए तो बकस बाबा की ख्याति पूरे देश मे फैल गई। आज भी बकस बाबा के परिवार के लोग इस परंपरा और पूजा पाठ को करते है। नागपंचमी के दिन यहा विशेष पूजन अर्चन होता है। यहा से पूजा होने के बाद ही लोग अपने घरों में पूजा कर भोजन आदि बनाने का कार्य प्रारंभ करते है।
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