लॉकडाउन के 55 दिन का पुस्तक हुआ तैयार, बीके महिला महाविद्यालय में पुस्तक का हुआ विमोचन

सेवराई। लाॅकडाउन के दौरान देश सहित पूरी दुनिया ने बहुत खराब दौर देखा है, गरीब और मज़दूर तबका कुछ ज़्यादा ही परेशान था। लोग सड़कों और रेल की पटरियों के रास्ते पैदल अपने घर जाने को मजबूर हुए थे। ऐसे माहौल में कुछ रचनाकारों ने एकत्र होकर काम किया, जिसका नतीज़ा हुआ कि ‘लाॅकडाउन के 55 दिन’ पुस्तक तैयार हुई। इम्तियाज़ ग़ाज़ी ने लाॅकडाउन की हक़ीक़त को एकत्र करके दस्तावेज तैयार किया है, जो किताब की शक्ल मेें सामने आ गई है। यह किताब एक ऐतिहासिक दस्तावेज बनकर सामने आया है। यह बात पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के प्रतिनिधि मन्नू सिंह ने शुक्रवार को गुफ़्तगू की ओर से उसियां, दिलदानगर में स्थित बीके महिला महाविद्यालय में आयोजित विमोचन समारोह में कही। बकौल मुख्य अतिथि बोल रहे मन्नू ने कहा कि गुफ़्तगू और इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने अपने काम से एक ख़ास पहचान बना लिया है। प्रयागराज में रहते हैं लेकिन अपने वतन को कभी नहीं भूलते, समय-समय पर यहां आयोजन करते रहते हैं।
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान हमने काव्य परिचर्चा शुरू किया, जिसमें देशभर के रचनाकार शामिल हुए थे। इनमें तमाम लोग ऐसे थे, जिन्होंने कविता तो लिखी थी, लेकिन कभी समीक्षा नहीं लिखा था, परिचर्चा के दौरान लोगों ने समीक्षा लिखना शुरू कर दिया। दो दर्जन से अधिक लोगों ने आलोचना लिखना शुरू दिया और अब बहुत अच्छा लिखने लगे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मास्टर शमशाद हुसैन खान ने कहा कि यह किताब आज इतिहास में दर्ज़ हो गया है। इम्तियाज़ ग़ाज़ी ने एक टीम बनाकर बारी-बारी से सबकी रचना पर परिचर्चा कराई, इस परिचर्चा के साथ देश के हालात को मिलाकर यह किताब तैयार की गई है, जो कई मायने में बेहद ख़़ास है। बीके महिला विद्यालय के प्रबंधक गुलाम मजहर खान ने गुफ़्तगू के कार्योें की सराहना करते हुए कहा कि आज ऐसे ही कार्य की आवश्यकता है। इस मौके पर कमसारनामा के लेखक मास्टर सुहैल खान ने अपनी पुस्तक ‘कमसारनामा’ की प्रति काॅलेज की लाइब्रेरी को प्रदान किया।इस मौके पर कुंवर मोहम्मद नसीम रजा खान, डाॅ. इमरान खान, अफ़ज़ाल अंसारी आदि ने भी विचार व्यक्त किए। तथा संचालन मास्टर अहद खान ने किया ।
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