
अभी-अभी फिर मंगरूवा हमसे मिलने दौड़ा-दौड़ा हकसल-पियासे चला आया दोपहर में ही। आते ही बोल उठा, “चंदन भैया सीट कन्फर्म हो गइल सुने है?” हम बोले भक बुड़बक जब हो जाएगी तो सबको पता चल ही जाएगा। सब्र करो।
बोला, “भैया हम तो सब्र ही किये हैं लेकिन प्रत्याशी के त सांस अब बाहर आवे वाली ह न। पहिले त सरकार जल्दी में सब कर देलस। लेकिन अब ओहू से जल्दी बा काहे कि प्रत्याशी सब परेशान ह। जो पहले लड़ रहा था फील्ड में दौड़ रहा था उसकी तो वाट ही लग गई है। कुछ लोग तो अपनी जमीन बेचकर भी चुनाव लड़ रहे हैं।”
हम बोले, ‘सही में?’
बोला, “ह भैया, उहो हऊ राष्ट्रीय पार्टी के कई जना हवन जा जेवन सब कुछ बचत हिय, चाहे एयरपोर्ट होखे या फिर सरकारी संपत्ति। उनको ये समझ नहीं आया कि हम जमीन बेच रहे हैं आ टिकट नहीं देगी पार्टी तब क्या करेंगे?”
हम बोले, ‘बुड़बक तुम्हे पता नहीं है थाना भी बिकाऊ है ई भाजपा के ही फायर ब्रांड नेता बोले थे। टिकट नहीं मिलेगा तो थाना ही खरीदने का प्रयास करेंगे।’
मंगरूवा बोला,”का भैया आपको कुछो खबर नहीं रहता है जेवना थाना में जमीन बेच के चुनाव लड़े वाला प्रत्याशी हवन उहाँ पहले से ही एक जना हैं। आ अंदर के बात बताएं हम उनका भी विरोधी एक जना हैं जिनकी खूब चलती है।”
हम बोले, “कहाँ चलती है मंगरू?”
मंगरूवा बोला, “जेवना चीज के तू खरीदे के कहत हवा। ओहि में उहाँ त खूब उ पहिले से ही देले हवन। उ न खरीदा पाई। तोहरो काम होखे त बोला हम करवा देइ बात करके? ”
हम बोले, “का बात कर रहे हो मंगरू?, हम आजमा लिए हैं उनको उ कुछो ना कर पइहैं। आ देखना ऐसा गिरेंगे चुनाव में कि फिर मुश्किल हो जाएगा मुंह दिखाना यदि ये सब नहीं छोड़े तो। अब जाओ हमें सोने दो। जान रहे हो न हमें टॉइफाइड हुआ है।”
मंगरूवा चला गया, हम सोने।