
गाज़ीपुर: आजादी के अमृत महोत्सव के नाम पर खूब पैसे का खेल जारी है। लगभग सभी सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को झंडे खरीदने हैं। वाराणसी में भी ऐसा ही हाल है गाज़ीपुर में भी वही है। खबर शिक्षा विभाग से है।
एक खबर के अनुसार वाराणसी में शिक्षा विभाग में झंडे के लिए सभी अध्यापकों को 550-600 रू0 जमा किये जाने थे। लेकिन विरोध के चलते इस आदेश को वापस ले लिया गया और झंडे के नाम पर वसूली रुकी।
देखिए इस संबंध में एक अखबार की कटिंग
वहीं गाज़ीपुर में भी प्रत्येक शिक्षक से 450रू तक वसूले जाने हैं। कुछ शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रत्येक शिक्षक से 450 रू व शिक्षामित्रों व अनुदेशकों से 100रू झंडा के लिए जा रहे है।
इस संबंध में हमने शिक्षा विभाग के एक झंडा प्रभारी से बात की तो उन्होंने बताया कि आजादी के 75वें वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाना है। झंडा खरीदना अनिवार्य नहीं हैं और किसी को भी पैसा जमा करने की भी जरूरत नहीं है। यह स्वेच्छा है कि पहले सरकारी अध्यापक या कर्मचारी खरीदें व लोगों को झंडा लगाने के लिए प्रेरित करें। चूंकि राज्य आजीविक मिशन के लोग झंडा बना रहे हैं तो वह अपना कास्ट लगा रहे हैं तो उन्हें पैसा तो देना ही पड़ेगा। लेकिन झंडा खरीदने का कोई दबाव नहीं है और अनिवार्यता नहीं है।
हम आपको बता दें कि शासन की ओर से अगस्त माह में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जाना है। इसके लिए शासन की तरफ से बजट भी जारी किया गया है। लेकिन अलग-अलग जगहों से झंडा खरीदने के लिए पैसे लिए और अनिवार्यता की खबरें आ रही हैं।
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