
न्यूज़ डेस्क: 1526 ई. में बादशाह हुमायूँ नसीर खाँ लूहानी की बगावत को विफल करने ग़ाज़ीपुर आया तो उसके लश्कर के साथ शेख जमाल भी थे।
विजय उपरांत बादशाह की आज्ञा से शेख़ जमाल मुहम्मदाबाद परिहारबारी के उत्तरी तरफ जंगल में एक खानकाह का निर्माण किया और मानवता की सेवा में लग गये।
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मुगलकालीन दस्तावेजात में है कि बंगाल के हाकिम दाउद खाँ केरानी की बगावत को दबाने के लिए मुगल सम्राट अकबर 1573 ई. में स्वयं यूसुफपुर में आपकी खानकाह में आशीर्वाद लेकर आगे गया था।
शेख़ जमाल के कहने पर हुमायूँ ने क्षेत्र का काज़ी शेख निज़ामुद्दीन सिराज अंसारी (अंसारी परिवार) तथा रेवन्यू आफिसर मिर्ज़ा आदिल बेग को बनाकर भेजा। 1593 ई. में क्षेत्र का नामकरण काज़ी यूसुफ अंसारी के नाम पर कस्बा यूसुफपुर, मिर्ज़ा आदिल बेग पर आदिलाबाद तथा यूसुफपुर के एक मुहल्ला का नाम शेख जमाल के नाम पर जमालपुर हुआ। सरकारी कागजात में आज भी यही नाम दर्ज चले आते हैं।
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